ऐसी दवा मिला लो, भव-रोग दूर होवे ।

(तर्ज : गजल ताल तीन)
ऐसी दवा मिला लो, भव-रोग दूर होवे ।
नहिंतो बिकट रहाना, दिन तीन जान खोवे ।।टेक।।
भूला जगतमें आया, प्रभुका न नाम लीन्हा ।
कैसा मिले पिया वह ? बिन भाव जाग-सोवे ।।१।।
विषयोंके जाल माँही, उमरी सभी गमायी ।
जब मौत आन खाई,  छाती    पिटाय    रोवे ।।२।।
खूब रोग साथ लिन्हा, अभीतक न छाँट कीन्हा ।
तुकड्या कहे न जीना, जबतक न राम  गोवे ।।३।।