लेलो राम - राम अब यार !
(गजल - ताल तीन)
लेलो राम - राम अब यार ! बीते जाते है नगरीसे ।।टेक।।
आज तलकमें मौज उडायी, दोस्त-मित्रके संगमें ।
छोड चले अब तनकी आशा, मस्त हुए प्रभु-रंगमें ।।१।।
तुम हम दोनों खेलत संगमे, ईश्वरके गुण गाई ।
फेर मिलेंगे आकर तुमसे, इसहीके संग जाई ।।२।।
दानापाणी जबरदस्त है, जबतक तन-दरगेका ।
टूट पड़े तकदीर जमीपे, खाया जनने धोखा ।।३।।
माफ करो यह कसूर मेरा, जो कुछ तुमसे कीन्हा ।
वह तो राम हमारा प्यारा, सब छोडेगा गुन्हा ।।४।।
भजो सदा दिल रामनामको, प्रेम सभीसे राखो ।
तुकड्यादास कहे प्यारे हो ! ईश्वरके गुण चाखो ।।५।।