जीवन को खतम कर प्रभुमें, तब सुख घर बैठे आये ।।टेक ॥



(तर्ज: जरा सामने तो आओ छलिये...)
जीवन को खतम कर प्रभुमें, तब सुख घर बैठे आये ।।टेक ॥
तू घुमता है मारामारा, कामक्रोध के  चक्करमें ।
स्वारथलोभी बनकर सारा, मुँह जमाता टक्करमें ।
फिर कौन तुझे अपनाये ?
जब धोखा खुदही पाये ।। जीवन0 ।।1।।
जो टुसरोंको दुख देता है वह खुद दुखिया होता है ।
यहि इतिहास बताया अबतक,समझ न तुझको पाता है।
कहे तुकड्या ले समझा ये ।
कर सेवा झुकझुक जाये।। जीवन 0 ॥2॥जीवन को खतम कर प्रभुमें, तब सुख घर बैठे आये ।।टेक ॥
तू घुमता है मारामारा, कामक्रोध के  चक्करमें ।
स्वारथलोभी बनकर सारा, मुँह जमाता टक्करमें ।
फिर कौन तुझे अपनाये ?
जब धोखा खुदही पाये ।। जीवन0 ।।1।।
जो टुसरोंको दुख देता है वह खुद दुखिया होता है ।
यहि इतिहास बताया अबतक,समझ न तुझको पाता है।
कहे तुकड्या ले समझा ये ।
कर सेवा झुकझुक जाये।। जीवन 0 ॥2॥