सुख - दुख तनपे झेला कर ।
(तर्ज : ले लो रामभजन अब यार... )
सुख - दुख तनपे झेला कर । निर्भय पदमें खेला कर ।।टेक।।
कभी किसीकी उगीदुगीमें, ख्याल नहीं पहुँचाना ।
अपने मुंहसे बुरी बातको, कभी नहीं बतलाना ।।१।।
रूखा सूखा मिले उसीमें, मस्त फकीरी करना ।
लोभ मोह ममता तो अपने, पास कभू ना धरना ।।२।।
मिला सही ना मिला सही, हरदम शम-दमको सहना ।
पास रहा तो जहर समझके, उसी वक्तमें दहना ।।३।।
कनक - कामिनी दो चीजों से, दुरसे डरते रहना l
कहता तुकड्या गुरु-भजन का, हरदम पहनो गहना ।।४।।