जवानी आयी प्यारी है ।

(तर्ज : मुखसे रामभजन कर लेना... )
जवानी आयी प्यारी है । भुली सब काम-बिचारी है ।।टेक।।
बालापन लडकनसंग खेले, नाम   बिसारी है ।
कामधाम कुछभी नहीं जानत, रहन बिहारी है ।।१।।
तारुणपन आशा -मनशासे, भोगत नारी है ।
रब्बुलालको कभू न जाने, फिरत    गँवारी   है ।।२।।
बुढेपनमें रहत खाटपे, लुँडकी जारी है ।
मौत आय जब पछताओंगे,  नाहक   हारी   है ।।३।।
यह दुनियाकी रीति भाई ! बीती सारी है ।
तुकड्यादास कहे नहीं  आवे, बक्त पुनारी   है ।।४।।