आँखे मूँदे क्यों बैठे हो ?

(तर्ज : मुखसे रामभजन कर लेना.....)
आँखे मूँदे क्यों बैठे हो ? गफलत दूर करो सब यार ! ।।टेक।।
किस मोहिनीने जादू डारी, पड गयी भूली तुम्हार ।
मेरा - मेरा  करके    बैठे,    लागी    पिछू    अंगार ।।१।।
बाप-बडे तो जलगये सारे, होगये धूआँधार ।
अकड चकडके क्या सोये हो ? आयी बक्त तुम्हार ।।२।।
बडे - बडे जोगी - भोगी सब, होगये ठंडेगार ।
पलमें खाक हुई है उनकी, तुम्हरी  कौन   पुकार ? ।।३।।
कालबलाको दूर हटाओ, यहि कहने का सार ?
तुकड्यादास कहे गुरुके बिन, कौन  उतारे   पार ? ।।४।।