तेरी खुशीसे नाथ ! खुश साराही जमाना है
(तर्ज : मुखसे रामभजन कर लेना...)
तेरी खुशीसे नाथ ! खुश साराही जमाना है ।।टेक।।
जबलग तेरी दया रहेगी, जहाँन सारा जाना ।
तेरा मेहरबाँ बदल गया, जब हुआ भनाना है ।।१।।
माई - भैया बाप पूत सब, नहीं देवेंगे दाना ।
खानेको मुँहताज हुआ फिर, कहाँ ठिकाना है ? ।।२।।
बिन हरिनामके सुख नहीं पावे, चाहे करों उडाना ।
राम - रसायन को लीन्हा जब, खुला निशाना हैं ।।३।।
जिसपर तेरी दया रहेगी, भोगे पद निरबाना ।
जो तुझको कुछ जान न पावे, उसे नचाना है ।।४।।
तुकड्यादास तुझे भीख मांगे, तुमहीसे मन माना ।
लेना - देना कुछभी नहीं पर, दया फिराना है ।।५।।