दिल हुआ मगन अब यार !
(तर्ज : अगर है शौक मिलने का ....)
दिल हुआ मगन अब यार ! पहुँचे जाके राम- दुवार ।।टेक।।
ऊँचा महल नगीना साजे ।
द्वारपाल राजे - महाराजे ।
सेवामें बहू भक्त बिराजे जी ! ।।
घनन घडियाला बाजत ताला, नहीं पावे मन पार ।।१।।
भरत - शत्रुघन चमर डुलावे ।
लछमन ऊपर फूल झुकावे ।
सीता हार गले पहिरावे जी ! ।।
रत्न - मुकुट, धर चाप, रामजी बैठे है दिलदार ।।२।।
गरूड - हनुमंत सेवक ठाडे ।
नाद बगारन जोर धडाडे ।
शंख -ध्वनी आवाज अफाडे जी ! ।।
झिलमिल आरती करे कौसल्या, नही टूटे कभू तार ।।३।।
निर्मल प्रेमा हृदय प्रकाशे ।
हरि-करुणा और गुरु-किरपासे ।
जहँ तहँ राम-रामही भासे जी ! ।।
तुकड्यादास कहे प्रगटाके, लगा चरण - आधार ।।४।।