दयालू ! आसरा तेरा
(तर्ज : अगर है शौक पिलने का ...)
दयालू ! आसरा तेरा, समझकर दिन बिताते हैं ।
कृपा करना ख़ुशी तेरी, अरज हरदम सुझाते हैं ।।टेक।।
न कोई आसरा हमको, बिना तेरी चरण - सेवा ।
सहारा नामका लेकर, काल आगे खिंचाते हैं ।।१।।
न हममें धीरता ऐसी, लड़ेंगे खास बल अपने ।
जिधर ठंडी लहर भासे, उधर यह जी जिताते हैं ।।२।।
न आशक हम बने पूरे, जिसे धोखा न हमपर हैं ।
सुधारना काम अब तेरा, झूठे जगसे निताते हैं ।।३।।
अगर कुछ पास लेना हो, तो जीनेमें मजा कुछ हैं।
नहीं तो दास तुकड्याको, काल जम-फाँस खाते हैं ।।४।।