रहे जो यादमें तेरी

(तर्ज : अगर है शौक मिलने का ...)
रहे जो यादमें तेरी , वही प्यारे हमारे हैं ।।टेक।।
न तेरे नामको जाने, न जगका प्रेम पहिचाने ।
कभू नहीं संतकों माने, वही हमसे नियारे हैं ।।१।।
सदा दिल कामकी आशा, करे धनदार-अभिलाषा ।
हमेशा शौककी प्यासा, वही हमसे नियारे हैं ।।२।।
न माने धर्म-कर्मोको, न राखे संत शर्माको ।
न हमको संग वह नीको, वे जमके घर सिधारे हैं ।।३।।
लगी आशा सदा सत्‌की, सुधारे राह जो गतकी।
त्यजे जो वासना रतकी, वही हमसे    हुशारे   है ।।४।।
न जगकी लाज जिस नरको, भजे दिनरात हरिहर को ।
त्यजे जो संग बाहरको, खुदीमें खुद   उजारे   हैं ।।५।।
अरे मन ! कर यही धंधा, लगो नित संतके छंदा।
वह तुकड्यादासको फँदा, दिलाकर दिल निछारे हैं ।।६।।