वही मैं मौजमें देखा
(तर्ज : अगर है शौक मिलने का ... )
वही मैं मौजमें देखा, जो हरदमपे कदम राखे ।
वतनकी यादको खोकर, जतनकी राहको चाखे ।।टेक।।
न जिससे मौत छूपी है, न जीनेका जहर जिसमें ।
सदा आबादकी सूरत, न दिलमें खोंफ है जाके ।।१।।
न बाहर का बिगारी है, न बाँधा कौलसे अंदर ।
मिला मिलनेकी रोशनिमें, बने ये फर्ज है जाके ।।२।।
न आशक औरका बैठा, बिना दीदार प्यार के ।
नचाता है सहन अपनी, न औरों से कही रोके ।।४।।
उसीकी खोज में जावे, तो वापस फेर ना आवे।
कहे तुकड्या जो है देखा, वह बेपर्वाह में बाँके ।।५।।