अरे हकदार प्यारे दिल
(तर्ज : अगर है शौक मिलने का ...)
अरे हकदार प्यारे दिल ! जरा तो मान ले मेरी ।
वतन कहाँतक यह तेरा है ? झूठी करता है बलजोरी ।।टेक।।
तुझे किसने पढाया है ? बढाया गर्व इस तन में ।
किसी दिन काल खावेगा, खबर कर जबर से घेरी ।।१।।
अरे ! कितना पसारा था, वह राजा भर्थरीजी का ?
हुआ चलता पलक में बन, उसे जब प्रेमने घेरी ।।२।।
तजा सब राज गोपीचंद, लिया बैराग तेरेसे ।
सभीको तू भुलाता है, मिराता है बडी थोरी ।।३।।
वह तुकड्यादास कहता है, न माने आजसे तुझको ।
सभीका वहही चालक है, करो इस बातकी चोरी ।।४।।