तुहीमें जाम है ऐसी, खुदी तकदीर झुलाने की ।
(तर्ज : अगर है शौक मिलने का ....)
तुहीमें जाम है ऐसी, खुदी तकदीर झुलाने की ।
ने करता यार ! तू करनी, मोक्ष-परदा खुलानेकी ।।टेक।।
करो एकांतमे बासा, बाँध विषयोंकी लालचको ।
जडी गुरुसे मिला लेना, तुहीमें तू डुलानेकी ।।१।।
सदा अलमस्त रहता जा, वही बूटी पिया करके ।
टुटे सब कर्म के बंधन, न यादी तन झुलानेकी ।।२।।
वही बाहरमें करनीकर, सदा अंदरभी भजता जा ।
दिवाना आपमें होगा, न यादी फिर भुलानेकी ।।३।।
टुटी माया जिसी नरकी, खुदी वह मस्त बनता है ।
कहे तुकड्या जो बंधन है, तो कर करनी टुटानेकी ।।४।।