तुम मंगल प्रभू-नाम नित्य, गात॑ चलोगे।
(तर्ज: मोहे पनघट पे नंदलाल. ....... )
तुम मंगल प्रभू-नाम नित्य, गात॑ चलोगे।
तब भव -सागर कठिन धार, पार करोगे ।। टेक ।।
कल -युगका मंत्र यही, नाम सुमर नाम सही ।
संतन उपदेश यही ।।
होनहार संकट सबको ही हरोगे ।।1।।
शुध्द रहूँ इस तनसे, कायासे औ, मनसे ।
द्वेष करो ना किनसे ।।
बन्धुभाव सबसे साथ कक हाथ धरोगे।।2॥
हर हमेश संत-संग, से छाये रंग।
वृत्ति हमेशा ही दंग ।।
तुकड्या कहे, यही बिधि -निर्धार रखोगे।।3।।