लाज गयी मेरी, प्यारेके लिये

(तर्ज : ऐसे दिवानेको देखा भैया... )
लाज गयी मेरी, प्यारेके लिये - लाज गयी मेरी ।।टेक।।
आग लगी इस तनको, जोगन होत फिरूँ चेरी ।
तुलसीमाल गले  पहराके,    फूँकत   हूँ    भेरी ।।१।।
मात-पिताका घरभी छूटा, बन बस्ती मेरी ।
नहीं रहा आधार किसीका,    याद   करूँ   तेरी ।।२।।
घरदारनपे पानी छोडा, धर तुलसी -पतरी ।
मानपान कुछभी नहीं राखा, गांड लँगोटी धरी ।। ३।।
देख नजर जलवा फिरके अब, याद भुली सारी ।
कहता तुकड्या मुरदेके सम, तनको बना  डारी ।।४।।