लीजो पेरी अरजी बारम्बार
(तर्ज : जगपती ईश्वर ! तू करतारं....)
लीजो पेरी अरजी बारम्बार ।
तुमहीसे मन लाग्यो मेरा, सुन बिनती कर्तार ! ।।टेक।।
जग-जंजाल बिना संसारा, करदो इनसे न्यार ।
काम -क्रोध - मद -मत्सर बेरी, तोड़ो इनका प्यार ।।१।।
चंचल मन रोके नहीं मोसे, स्थीर करो दिलदार ! ।
चित्त सदा एकांत कराकर, दीजो भक्ति - उबार ।।२।।
मात -पिता अरु कुटुंब-कबीला, इनका नाता सार ।
नाता उस प्यारेका देदो, जो दे भक्ति तुम्हार ।।३।।
रैनदिना तुमहीसे लागूँ, फूटे देह - पसार ।
तुकड्यादास कृपा कर ऐसी, मैं - तू सार बिसार ।।४।।