तबला ! तबला ! !कइ दिनसे बजा यह तबला ।।टेक ।।

(तर्ज : सजना ! काहे भूल गये दिन प्यार के... )

तबला ! तबला ! !कइ दिनसे बजा यह तबला ।।टेक ।।
गुरु नानक ने सीख बनाया ।
ग्रंथ-साहिब पर दृष्टि लगाया।।
फिर भी न भारत है उबला ।। तबला 0।।1॥
गोस्वामी तुलसी की वाणी।
उत्तर के घर-घर में जानी।।
रामराज्य अब भी न चला ।। तबला0।।2।। 
गुरु ज्ञानेश्वर की प्रति-गीता।
सरल भाष्य में किया सुबीता ।।
नहीं मानव में प्रेम   चला ।। तबला 0 ।।3।।
महाप्रभू चैतन्य भी आये।
बजा -बजा पखवाज सुनाये।। 
हरी हरी सबसे नहीं निकला।।तबला0।।4।।
कितनो की गिनती बतलावे ?
तुकड्यादास वही सुनवावे।।
क्या जाने कब होत भला ?।। तबला0 ।।5॥