हमारे गुरु पीरोंसे बाँधो कराल
(राग पहाड़ी )
हमारे गुरु पीरोंसे बाँधो कराल ।।टेक।।
उलटी चाल चले तन माँही, नीरंजन एक माल ।
उस मालाको कैसे जपना ? पूछो इसका हाल ।।१।।
कहाँसे उतपत हुई माल वह ? कहँते उसका जाल ?
क्या अच्छर लेके उठती है ? कितना जात बिहाल ? ।।२।।
उलटा झाड जमीके भीतर, नीचे शाक-डंगाल ।
ऊपर मूल मूलमें बाती, चमके झगमग ज्वाल ।।३।।
उस मालाको जपनेवाले, कहते है अजमाल ।
तुकड्यादास कहे वह साधो, टूटे जन्म-जलाल ।।४।।