वहि माया है, वहिं माया है

(तर्ज : बलहारी मैं बलहारी मैं .. . )
वहि माया है, वहिं माया है । भक्तनको ब्रह्म दिखाया है ।।टेक।।
मायाने साधू निपजाया । निपजा करके पंथ बताया ।
पंथहिसे अनुभव दिलवाया । अनुभवमें मिलवाया है ।।१।।
प्रथम अधार त्रिगुणको वहही । ब्रह्मा-रुद्र-विष्णु निपजाई ।
निपजाके आपहिने भोई । इस मायाकीभी माया   है ।।२।।
तुकड्यादास उसे कर जोरे । सीस चरण उनके जा फोरे ।
मुक्त करो ये प्राण हमारे । रख दीनोंपर    छाया    है ।।३।।