क्या कहना हाल दिवानोंका ?
(तर्ज - मस्तोंकी वृत्ति निराली है... )
क्या कहना हाल दिवानोंका ? दिवानोंका, सुलतानोंका ।।टेक।।
कोई दिन पहिरे शाल दुशाले, कोई दिन ख्याल न जानोंका ।।१।।
कोई दिन बैठे गाडी - घोडा, मुखमें बिडवा पानोंका ।।२।।
कोई दिन बैठे नंगे - भूखे, नहीं है ख्याल पछानोंका ।।३।।
कोई दिन माल खजाने राखे, कोई दिन भीख मँगानोंका ।।४।।
कोई दिन आशक मस्त फकीरी, ख्याल प्रभू रिझवानोंका ।।५।।
कोई दिन जंगल दरपे बैठे, कोई दिन झोंक बिछानोंका ।।६।।
तुकड्यादास उसे कर जोरे, टूटा घर अभिमानोंका ।।७।।