हम साफ-साफ ही गाते हैं !
(तर्ज : कोई ईश्वर मोल न ले सकता... क)
हम साफ-साफ ही गाते हैं !
सरे आम जगत् को फँसाते हैं ।।टेक ।।
नहिं प्रभुका ग्यान हुआ हमको, विश्वास से ही जग पाते हैं ।
वह आज मिले या काल मिले, बस दूर-दूर रह जाते हैं ।। 1 ॥
जिस-किसने प्रभु को पाया हैं , वह भी तो यहिं सुनाते हैं।
हम गाते हैं, रंग लाते हैं, अपना विश्वास बढाते हैं ।। 2 ॥
गर हो तो प्रभु बतलाओ हमें,क्या कोई आकर दिखलाते हैं ?।
सब यों ही रोना रोते हैं, तुम ग्यान सिखो प्रभु पाते हैं ।। 3 ॥
ये क्यों न कहो, ऐ तुम तुमको, गम्भीर करो, खंबीर करो।
ना किनसे कब भी पाप करो, आनन्द से सब संचार करो।। 4 ॥
जो चाहते हो, वह तुम ही हों, इसे जानके अपना काम करो।
ये खेल तुम्हारे अन्दर है, पहिचान करो फिर धाम करो।। 5 ।।
ऐसे कहनेवालोंने अपना दिल सबसे साथ किया।
कहे तुकड्या वह हमको है पसन्द ,जो निर्मल मनसे बात किया।। 6 ॥