दया करो गुरु आडकोजी !

(तर्ज : जय जय सद्‌गुरु दीनदयाल... )
दया करो गुरु आडकोजी ! बरखेड तरानेवाले ! ।।टेक।।
सब छोडके विषय-विकारा । किया ब्रह्मानन्द में डेरा ।
तोडा जन्म-मरणका फेरा जी ! मनोरथ को पुरानेवाले ! ।।४।।
बरखेड गाँवके अन्दर । किया छोटासा एक   मन्दर ।
वहाँ बैठे जाके सुन्दर जी !    आसनको    उठानेवाले ! ।।२।।
क्या गाऊँ तुम्हरी कीर्ती ? ना चले बेदकी ख्याति ।
क्या चले अधम की बाती जी ! सुस्फूर्ति    भरानेवाले ! ।।३।।
चौरासी तोडो फेरा ! कहे तुकड्यादास तुम्हारा ।
दीजो गुरु ! चरणपे थारा जी !  सद्बुद्धि    दिलानेवाले ! ।।४।।