अजब विचक्षण मूर्ति हमारे बाबा

(तर्ज : काहे को हरदम बाचत... )
अजब विचक्षण मूर्ति हमारे बाबा श्री आडकोजी की ।।
चरण-कमलमें पद्म विराजे, अजानुबाहू तन बाँकी ।।टेक।।
रहत निरन्तर नग्न कलन्दर, सिद्धरुप सुखदायी की ।
सदा समाधी विषय न बाधी, चैतनरूप सहायी की ।।१।।
घट-घट म्याने ब्रम्हहि जाने, विमल दृष्टि हर भावनकी ।
सन्त-मुकुटमणि कसारबाबा ! खबर न सुख-दुख जाननकी ।।२।।
जन्म लिया आर्वी संस्थामें, बरखेडे में आवनकी ।
कहता तुकड्या दास तुम्हारा, दर्सहि लेते पावनकी ।।३।।