दीवाना बना दे, मुझको, दिवाना बना दे ।। टेक ।।
(गजल : तर्ज : तुमको सलाम है...)
दीवाना बना दे, मुझको, दिवाना बना दे ।। टेक ।।
आँखी हैं, पर नजर न ॒बाहर।
काम करूँ पर रहें उजागर।।
सत् को हिं मना दे।। मुझको 0 ।।1।।
जिसको गाऊँ, वहि बन जाऊँ।
चढी नसा नहिं कहीं उतराऊँ ।।
तारी को तना दे ॥ मुझको 0।।2।।
चाहे कपडा या तो हैं नंगा।
तेरि नजर में सदा हूँ चंगा।।
ऐसा हि रँगा दे ॥ मुझको 0 ।।3 ॥
सर्द पड़े या भारी हो गर्मी।
तुकड्यादास रहे नित मर्मी।।
गिरे दिल को मना दे ।।मुझको 0।।4।।