साधो ! देखा अजब तमासा
(तर्ज: मन रे पढ भगवत की गीता.. )
साधो ! देखा अजब तमासा ।।टेक।।
जगमग-जगमग ज्योत जगति है । अनहद बाजा खासा ।।१।।
उलट - पल्ट में गीत चलत है । निजसुख में ही विलासा ।।२।।
बिजली न दिखे, चंदा न दिखे । न दिखे सूरज - भासा ।।३।।
गगा - जमुना नीर बहत है । त्रिकुट - महल में निवासा ।।४।।
जो कोई उलटे नयन से देखे । उसिका तुकड्या दासा ।।५।।