सद्गुरु कैसा करना बोलो ? लक्षण सद्गुरुके क्या है ?
(तर्ज: सच्चे सेवक बनेंगे... )
सद्गुरु कैसा करना बोलो ? लक्षण सद्गुरुके क्या है ?
बहुत सन्त है दुनियाम्याने, जिन्हें मार्ग नहि मिलता हैं ।।टेक।।
बढाके दाढी बिभुत लगाते, एक तो बन-बन घुमता है ।
पंचाग्नि कर सोंग बतावे, खबर न मालिक होता है ।।
करके कीर्तन-भजन हमेशा, पैसे घरमें भरते है ।
बैठ गादीपर लगाके आसन, प्राणायम एक करते हैं ।।
सुनो भाइयो ! एक चित्तकर साधनका पथ होता हैं ।।१।।
कोइ बताते चमत्कार और कोइ सिद्धिमें मरते है ।
मंत्र-तंत्र और मोहन-स्तम्भन, इसमें देह डुबाते हैं ।।
कला पाठ-कर नजरबन्दमें, लोगोंको बहलाते हैं ।
पिशाच वृत्ती दिखा दिखाकर, माडी-हवेली पाते हैं ।।
देव बताऊँ, मोक्ष दिलाऊँ बहुत बनाते बाता हैं ।।२।।
बाबा हमारे आडकुजी गुरु, कहे बात अब सुनो सुनो ।
पामर मूढ तराया जिसने, वही सन्त सच्चा जानो ।।
जिस दर्शनसे प्रवृत्ति की निवृत्ती बनती है आपी ।
योगायाग साधन ना करके सब, दर्शनसे तरते पापी ।।
वही सन्त जानो जी ! तुम तो, निजानन्द में धुन्द रहे ।।३।।
मुख्य खुण है यही गुरुकी, विमल ग्यान जो बतलावे ।
अपने तनपे उदास रहकर, रामनाम-गुण नित गावे ।।
कहत आडकुजी गुरु हमारे, अपरोक्षहिमें मस्त रहे ।
अद्वैती है स्वरुप जिसका, शान्ति सदाही पास रहे ।।
तुकड्यादास कहे जो सबमें, सबगुणी मौला कहते है ।।४।।