क्या इतना कहकर यार ! कदर नहीं आती

(तर्ज : बेउजर मस्त क्यों .... )
क्या इतना कहकर यार ! कदर नहीं आती ।
क्या सीस चरणपर धरके पीटना छाती ?।।टेक।।
यह जीभ बिखरगयी, कंठ ओठ भी सूखे ?
नहीं मिले हमें दर्शन, बैठे हैं भूखे ।।
दिल जबाँ बंद अरु तन धरणी में झूके ।
नैनोंकी अकड गयी तार, निशाना हूके ।।
अब आयी जरा अरु मौत हमें बुलवाती ।
                            क्या सीस चरणपर०।।१।।
धन-दार सभी तू, तुझसेही मन लागा ।
चाहे नर्क भेज दे कि तू स्वर्ग की जागा ।।
मेरे मात-पिता सब कुटुंब तुझपर त्यागा ।
संसार-चक्रका तुझपर बांधा धागा ।।
मनमेह झरा अरु बिखर गयी तन-बाती ।
                            क्या सीस चरणपर०।।२।।
सब छोड जगतका फंद, छंद धर तेरा ।
हम आज तलक मरते, अब मत कर देरा ।।
कुछ कसूर हो तो माफ कराकर मेरा ।
इन्सान भिखारी समझ भीख दे थोरा ।।
ले कदर जराशी, वक्त गयी और जाती ।
                            क्या सीस चरणपर०।।३।।
है सुना, तुम्हीं हो दयाल सबके दाता !
भक्तनके हेतू पुरे, पुरा करवाता ।।
मोहे दे दर्शन, कछु और नही मँगवाता ।
क्या थोरेसेके लिये पिछे हट जाता ?
कहे तुकड्यादास पिला दे प्रेमकी पाती ।
                            क्या सीस चरणपर०।।४।।