आज श्याम जीत लियो, कुंजबन-बिहारी
(तर्ज : जागिये रघुनाथ कुँवर...)
आज श्याम जीत लियो, कुंजबन-बिहारी ।
खेला भक्तनके साथ, लाज छोड सारी ।।टेक।।
बीनाकी कर कट्यार, नैननके बीच डार ।
शब्द - बाण छोड़छोड़, नैनको उछारी ।।१।।
भावका गुलाल फेक, डारा पद देखदेख ।
मोहित कर प्रेम - फाँस, अंगपे निछारी ।।२।।
ज्ञानका लगाय डोर, तन मनसे कीन्ह जोर ।
कहे तुकड्या था न और, रंगसे निहारी ।।३।।