कहो गुरु ! संदेश आज
(तर्ज : जागिये रघुनाथ कुँवर...)
कहो गुरु ! संदेश आज, पग कहाँसु आये ?।
कितने दिन है मुकाम, काज क्या उठाये ? ।।टेक।।
कहाँ धरि है दंड माल, पूजा अरु शंख शाल ।
तन लंगोट भबूत भाल, क्यों जटा रमाये ?।।१।।
चिमटा अरु पग खडाव, ध्यान ज्ञान ज्ञेय दाँव ।
क्या साधे हो उपाव, क्या दवाइ खाये ? ।।२।।
यह झोली कवन दिन्ही, कितने दिन संग लिन्ही ?।
तुकड्याकी लाज छिनी, रूप क्या समाये ? ।।३।।