क्या कहूँ न कहना है सो

(तर्ज : जिंदगी सुधार-बंदे ...)
क्या कहूँ न कहना है सो, याद सभी साँई को ।।टेक।।
तात कहे, कपूत बेटा, टाल कूटनेको बैठा ! ।
माँ कहे नसीबा फूटा, निकलता फिराईको ।।१।।
मित्रभी दिवाना बोले, ग्राममें लगाते ठोले ।
कोउ नहीं-अच्छा तोले, कदर है न भाईको।।२।।
गोत घर न आने देवे, पासकाभी छीना लेवे ।
साथिदार दुरसे भीवे, करे   घर    मनाईको ।।३।।
साँई ! तुम बिना अब कोई, है न सभी घुमके आई ।
तुकड्याको सहारा तूही, ताकता सहाईको ।।४।।