दीनके दयाल दाता ! मेरो दुःख सारना

(तर्ज : जिंदगी सुघार-बंदे ..)
दीनके दयाल दाता ! मेरो दुःख सारना ।।टेक।।
भौंर भौंर फेरा खाया, मानुजकी देह पाया ।
कर्म - बंधमेंहि फँसाया, फेर मोरि वारना ।।१।।
बालपना खेलत खोया, याद प्रभूकी ना कीया ।
तारुण जवानी पाया, पापि काम जारना ।।२।।
तिरियाँ के संग भूला, दुर्जनों के साथ डूला ।
पापियों के पास झूला, भूल यह सुधारना ।।३।।
तीर्थ नेम कुछ ना कीन्हा, ताप जापभी ना चीन्हा ।
ऐसियोंको नाथबिना, कौन करे   तारना ? ।।४।।
तेरोही अधार साँई ! दूज हमें कौन उपाई ? ।
तुकड्याको सहारा तूही, भूलको बिसारना ।।५।।