अरे मनुवा ! भज रघुनाथ नाथ
(तर्ज : जिंदगी सुधार-बंदे ...)
अरे मनुवा ! भज रघुनाथ नाथ ।
मत भोगे भव अपघात घात ।।टेक।।
मात पिता वहि राम तुम्हारा, झूठी यह सब जात जात ।।१।।
धन दारा सुत साथ न आवे, सिरपर मारे लाथ लाथ ।।२।।
माल खजाना कौन किसीका ? छूट पडेगा हाथ हाथ ।।३।।
तुकड्यादास कहे वहि मानो, जो अपने संग आत आत ।।४।।