अब मै ब्रह्म पागया,अब मैं ब्रह्म पागया ।
(तर्ज: आज सी ब्रह्म पाहिले.... )
अब मै ब्रह्म पागया,अब मैं ब्रह्म पागया।
श्रुति- स्मृति - वेद- पुरान बखाने। ।
नाना संत-महंत अनुभव ;जिनको गागया ।। टेक ।।
जल -थल भू-मण्डल में व्यापा।
अणु-रेणू परमाणु समीपा।।
पंचतत्त्व त्रिगुणों के भीतर।
समझो छागया ।। आज मैं ब्रह्म पागया0।।1॥
सगुणातित निर्गुण की सीमा।
दृश्य जगत् की अंतर महिमा।।
स्थरूल- सूक्ष्म- कारण की चोटी -
पर जो छागया ।। आज में ब्रह्मा पागया 0।।2।।
परा -पश्यंती - मध्यम वाणी |
वैखरी में व्यापी. गुणगानी ।।
दृष्टा दृश्य भये दर्शन से।
अरुपा पागया ।। आज मैं ब्रह्म पागया0।।3।।
सर्वसाक्षी सब अंतर्यामी |
देखेपर जो रहत अनामी ||
तुकड्यादास कहे, जब वृत्ती -
शून्य होगया ।। अब मै ब्रह्म पागया0।।4।।