सद्गुरुराज दयाल ! भरोसा

(तर्ज : सदा रहों अलमस्त .... )
सद्गुरुराज दयाल ! भरोसा अब मुझको तेरा ।।टेक।। 
द्रपे आकर बेठा हूँ, अब कुछभि करो मेरा ।
दया - नजरसे देखो साँई ! हरो जनम-फेरा ।।१।।
तरस रही यह जान हमारी, क्यों करता देरा ?
तुम्हरि कृपाबिन भटक रहा हूँ, नहिं चुकता फेरा ।।२।।
छोड़ काम दुनियाके सारे, पग तुमरे छेरा ।
चरणनपे मोहे दे जगिया, और तुम गुरु मैं चेरा ।।३।।
पाप ताप सब काट करो, मन शान्त करो मेरा ।
तुकड्यादास आस धर तेरी, हिरदे पग मेरा ।।४।।