कैसे तुझको समझाना, है

(तर्ज : सदा रहो अलमस्त ... )
कैसे तुझको समझाना, है उलट नजरिया तेरी l।टेक।।
सत्य रूपको छोड़ दिया, तू झूठ मायामों भूला ।
जमका डंडा बैठे सिर जब, झटके खावे खुला ।।१।।
हाथी घोड़ा माल खजाना, इनपे आशा जोडी ।
मौत आय जब पछतावेगा, गाँड लँगोटी छोडी ।।२।।
साले भाई मेरे कहकर, इनमें  भूली पाया ।
मौत आय जब चला अकेला, धन डाकूने खाया ।।३।।
कहता तुकड्या ख्याल कराकर, भजले अब तो साँई ।
मस्त रहेगा जन्म-जन्म फिर, जमका धोखा नाहीं ।।४।।