अजब तमाशा जिसने बनाया ।

(तर्ज : सुनोरि आली गगनमहलसे... )
अजब तमाशा जिसने बनाया । वह राम मुझमें मै राममे हूँ ।।टेक।।
बेद - पुराण अठराहि गावे, अंत न पावे नेति कहावे ।
जिसने उध्दारे ये भक्त सारे, वह राम मुझमें मैं राममें हूँ ।।१।।
जोगी जपी और योगि संन्यासी, लगगये फाँसी नहिं परकाशी ।
जिसने ये तारे दुनियामें सारे, वह राम मुझमें मैं राममें हूँ ।।२।। 
शेष थका वह खोज न पाया, संतन गाया गान भुलाया ।
जिसकी यह सूरत दिखती है मूरत, वह राम मुझमें मैं राममें हूँ ।।३।।
सूरज औ तारे जिसने उजारे, जिसने निकारे जिसने ये मारे ।
तुकड्याके प्यारे जो कि नियारे, वह राम मुझमें मैं राममें हूँ ।।४।।