है यार ! क्योंकर सता रहे हो ?
(तर्ज : सुनोरि आली गगनमहलसे.... )
है यार ! क्योंकर सता रहे हो ? न कोइ हमको बिना तुम्हारे ।।टेक।।
ये सारे स्वारथके सारथी हैं, नजरमें दिखते जो आज मेरे ।
बिना तुम्हारी दया प्रभूजी ! सभी भगेंगे अखेर प्यारे ! ।।१।।
यह सारी दुनियाकी राह झूठी, सभी दिखे मतलबी पियारे ।
न कोइ मुझको तरानेवाला, बिना तुम्हारी दया निहारे ।।२।।
न देख मेरी चुकीभुलीको, ले पास अपने दिजो सहारे ।
वह दास तुकड्याकी लाज राखो, ये तोड़करके बिनाश सारे ।।३।।