हे यार ! मेरी नजरमें आना
(तर्ज : शंकरजी मैं बाल तुम्हारो...)
हे यार ! मेरी नजरमें आना, काहेको जाता दूर रे ?
बने है आशक दरसके तेरे, करो अरज मंजूर रे ।।टेक।।
वह तेरा जलवा कहाँ छुपा है ? लगी हमें हुरहुर रे ।
बिना दरसके चैन न पावे, काहे छुपावत नूर रे ।।१।।
सुना है मैने दयालु तू है, बना अभी क्यों क्रूर रे ?
करम हमारे फूटे पडे है, आडा पडा भवपूर रे ।।२।।
क्या तेरे मनमें खडी है आडी, लगादि है झूरझूर रे ।
वह दास तुकड्या बना दिवाना, नहीं रहा यह शहूर रे ।।४।।