अमरपुरीमें बजती है नौबत

(तर्ज : शंकरजी मैं बाल तुम्हारो...) 
अमरपुरीमें बजती है नौबत, आओ सखी! मिल जायेंगे ।।टेक।। 
त्रिकुट शिखरपर जोगि मनोहर, नित उत दर्शन पायेंगे ।
भ्रमर-गुँफा में गहरि है नदिया, सब सखियाँ मिल न्हायेंगे ।।१।।
हृदयकमलमों निर्मल ज्योती, नित उत ध्यान लगायेंगे ।
नाभिकमलमों खड़ि है नैया, सीधी    राह     मिलायेंगे ।।२।।
निर्मल जान दरसका भूखा, पाते वहिं मिल जायेंगे ।
तुकड्यादास पिया-घर जावे, वापिस नहि फिर आयेंगे ।।३।।