हो रहे आशक दिवाने

(तर्ज : मानले कहना हमारा... )
हो रहे आशक दिवाने, देखकर तुझको नजर ।।टेक।।
क्या अजब लीला तेरी, खिलकतमें सारे छारही ।
सब जगह मौजूद है, तेराहि तू जलवा अजर ।।१।।
खुब बनाया पिंजरा, अंदर बसा आरामसे ।
संत जोगी जानते, दुनियाको ना तेरी   खबर ।।२।।
आशकोंके नैनमें तेरा, स्वरूप समा रहा ।
देखकर जलवा तेरा, बंदे बने   अंदर   जबर ।।३।।
तन-सुधीको भूलकर, मस्तान हो बैठे जगह ।
दास तुकड्याकी अजलसे, आपही लेलो कदर ।।४।।