त्यागे बिनु विषय-संग ; प्रभू का नहिं चढत रंग-

(तर्ज : नैन मिले चैन कहाँ... . )

त्यागे बिनु विषय-संग ;
प्रभू का नहिं चढत रंग-
सुन सही पियारे, बात मेरी ! ।।टेक॥
दुनिया की मौज भरो ।
और प्रभू दर्श करो ।।
यह नहीं हो  सागरो। सुन  सही 0॥1॥
खाने को मालोमाल।
वर्तन में हो जहाल।।
कालन के वह हवाल । सुन सही 0।।2।।
इन्द्रिय को स्वैर छोड।
धर्म-नीति सर्व तोड।।
उनको हरि क्यों हो गोड ? सुन सही0।।3।।
तुकड्या कहे, दर्शन हो।
भक्ती में मस्त रहो।।
प्रभु-पद में तबही जियो । सुन सही 0।।4।।