क्या खुदा तुझसे जुदा, प्यारे !

(तर्ज : मानले कहना हमारा... )
क्या खुदा तुझसे जुदा, प्यारे ! जरा खोलो नजर ।।टेक।।
ढूँढ़ते साधू हिमाचल बन-बनोंमे जायके ।
पासका हीरा भुला और पूजते जाके पत्थर ।।१।।
पुस्तकोमें क्या भरा ? पढते मरे पंडीतभी ।
लाखमें बिरला कोई, अमृत पीवे जा अधर ! ।।२।।
संत-संगत के बिना, कोई न देखे खासको ।
धर चरण उसके तभी, आती उसे तेरी  कदर ।।३।।
नींद में क्यों भूलते, अंधे बने मायीनमें ।
दास तुकड्या सद्गुरु के, चरणपे धरता यह सर ।।४।।