दिल मेरा राजू नहीं यह शर्म धरने के लिये

(तर्ज : मानले कहना हमारा... )
दिल मेरा राजू नहीं यह शर्म धरने के लिये ।।टेक।।
गोत हो या पूत हो, धनदार हो या यार हो ।
इश्क मेरा श्यामसे, यह भर्म हरने के लिये ।।१।।
मान हो अपमान हो, नादान हो बलवान हो ।
है नहीं धोखा कोई, यह कर्म करने के लिये ।।२।।
नेमकी जरुरत नहीं, वह श्याम-जादू के बिना ।
मन मेरा राजू रहे, यह मर्म भरने के लिये ।।३।।
होगयी दुनिया अलग, हमको न पर्वा जानलो ।
आस तुकड्याकी यही है, नर्म मरने के लिये ।।४।।