झूठ पसारा भया जगमें अब
(तर्ज : पूरण ब्रह्म सनातन तू... )
झूठ पसारा भया जगमें अब, आपहि आप बिचार करो ।।टेक।।
स्वारथकी साथी दुनिया, बिन स्वारथ सारथ कौन करे ?।
चाहे संत रहे कि महंत रहे, सब सोच सम्हल जिगरार करो ।।१।।
संड-धरम मँगने निकले, धर अंग मुलाम भगा कपरा ।
खूब भेष बढाय लिया तनमें उनसे न कभीभी प्यार करो ।।२।।
शास्त्र पुराण बहोत कहें, मतसे मत एक नहीं मिलता ।
सत्य विचार करा करके, फिर आपमें आप मिलार करो ।।३।।
तन-लकडीके बलपरही, कोइ बात बनी चल आवेगी ।
यह वक्त गया फिरसे न मिले, तुकड्या कहे काम सुधार करो ।।४।।