हुशियार रहो हुशियार रहो
(तर्ज : अल्लाह का परदा बन्दहि था....)
हुशियार रहो हुशियार रहो, अब जमका डाका आता है ।
कुछ देर नहीं अब आनेमें, वह तनसे रूँह लिजाता है ।।टेक।।
नहिं रोक सके कोउ पैसोसे, वह अपनी हौस पुराता है ।
अब आयगयी घडिया उसकी, फिर नहिं जाने कुछ नाता है ।।१।।
वह आनेतक में मौज करो, या पून करो या पाप करो ।
फिर जैसी जिसकी करनी है, उसपर वह दंड बिठाता है ।।२।।
जबतक दुनियामें जीना है, तबतक धन माल नगीना है ।
जब जानेकी हुजरात भयी, तब सोता क्या अजि ! रोता है ।।३।।
नहि संग चले साथी कोई, या बाप रहे या पूत रहे ।
जब आया डंडा कालहिका, तब खैचे जान लिजाता है ।।४।।
जिसको जानेकी याद पडी, वह तो गुरुनाम रिझाता है ।
तुकड्या तुकडा तुकडेसे लगा, गुरु भजकर काल निभाता है ।।५।।