जो जीते जीमें मर बैठे, वे भवसागरमें तर बैठे

(तर्ज : अल्लाह का परदा बन्दहि था... )
जो जीते जीमें मर बैठे, वे भवसागरमें तर बैठे ।
जो करना था सब कर बैठे, जो हरना था सब हर बैठे ।।टेक।।
नहिं करनेकी कुछ आशा है, नहि त्यजनेकी अभिलाषा है ।
ये दोनों झूठ तमाशा है, यह जान पराके    पर   बैठे ।।१।।
नहिं साधन साध कमाना है, नही अंगपर भेष जमाना है ।
जो है उसमें मिलजाना है, इस ज्ञानहिके आखर बैठे ।।२।।
जो रोशनकी बदली आई, वहिं झूठा जाल रचा भाई ! ।
यह जाल असर नहिं करपाई, वे आमद अपनी भर बैठे ।।३।।
दिलमें दिलदार पछानलिया, उस दिलमें दिलको खार किया ।
कहे तुकड्या और लिया न लिया, जो लेना सो सब घर बैठे ।।४।।