कहाँ घूम रहा, कहाँ घूम रहा ?

(तर्ज : तेरी कलबल है न्यारी...)
कहाँ घूम रहा, कहाँ घूम रहा ? कहाँ घूम रहा बिरथा प्यारे ! ।।टेक।।
हृदय-कमल इक देवल बाका, अजपा - मारगसे जा रे ।।१।।
एकसे एक उजारा पावे, धोपट    काम    करो    सारे ।।२।।
नहि लगता कुछ जप तप करना, घटहीमें तीरथ   तेरे ।।३।।
कहता तुकड्या आँख उलटकर, नैनोंकी   नैना   हारे ।।४।।