जिगरदार छोडके, अब क्या किसे कहूँ ?

(तर्ज : तेरे दिदार के लिये बंदा हैरान है...) 
जिगरदार छोडके, अब क्या किसे कहूँ ? ।
गंगा-पट तोडके, कूपोंमें क्या रहूँ ? ।।टेक।।
है नहीं दूजा कोई, मुझको सरायमें ।
जो मेरे घटमें वही,   घरदारको   सहूँ ।।१।।
पैदा किया जिसने मुझे दुनिया बखानको ।
देखके जलवा अजर, अमर बना रहूँ ।।२।।
वहहि मात तात मेरो, कौन दूसरा ? ।
तुकड्या आधारसे तोहे  नाम-बर बहूँ ।।३।।