तेरे दिदारके लिये, कई बेजार हो रहे
(तर्ज : तेरे दिदार के लिये बंदा हैरान है ... )
तेरे दिदारके लिये, कई बेजार हो रहे ।
किसको न मिला आजतक तू, सब राह खो रहे ।।टेक।।
लाखों तपस्वी मर गये औ जा रहे कई सैकडो ।
तेरे बने दरवेश है, वहि मौज पा रहे ।।१।।
कई जपी जोगी बसे, तेरे अधारपर ।
मिलता नहिं किस भी कदर, बाजार भो रहे ।।२।।
जो ख़ुदी तेरा बना, अभिमान भूलकर ।
उसका हुआ गड पार है, सब सत्-उध्दार है ।।३।।
नाथ ! कर कसूर क्षमा, अब दर्श दीजिये।
लाज तुकड्याकी रखो, तेरो नाम गा रहे ।।४।।
(-- अजमेर)