तूने तो हमें ख्वाजा ! दीवाना बना डारा है
(तर्ज: मैं तो तेरा दास प्रभू !...)
तूने तो हमें ख्वाजा ! दीवाना बना डारा है ।
अपनीहि ज्योतियोंका, असवाना बना डारा है ।।टेक।।
घरकी खबर भूली सारी, नहिं ख्याल भाईबंदोका ।
तसबीमों, आलिमोंकी, परवाना बना डारा है ।।१।।
तनकी सुधी गयी सारी, नहिं लाज तन-वजूदीकी ।
नंगोंसेभी नंगे हम, निर्बाना बना डारा है ।।२।।
सब कर्मधर्मसे छूटे, नहिं आस पाप - पुण्योंकी ।
नदियोंमें, आशकोंकी गर्दाना बना डारा है ।।३।।
ऐसेहि याद करते जा, नहि माँगना दुजा कोई ।
तुकड्याकी लाज लेनेका, अजमाना बना डारा है ।।४।।